Saturday 15 October 2011

मेरा जीवन


प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने जीवन का सकारात्मक पक्ष सामने रखा है | कवयित्री को विश्वास है की मानव का विकास आस्था, दृढ़ संकल्प एवं नैतिक मूल्यों से ही संभव है | चिंता, पीड़ा, रुदन और जीवन का खोखलापन कभी भी विकास के माध्यम नहीं हो सकते | मनुष्य सकारात्मक मूल्यों को अपनाकर ही जीवन के पथ पर हर्ष और उल्लास के साथ विजयश्री का वरण कर सकता है |

मैंने हँसना सिखा है
मैं नहीं जानती रोना ;
बरसा करता पल-पल पर
मेरे जीवन में सोना |

मैं अब तक जान न पाई
कैसी होती है पीड़ा ;
हँस-हँस जीवन में कैसे
करती है चिंता क्रीडा |

जग है असार सुनती हूँ,
मुजको सुख-सार दिखता ;
मेरी आँखों के आगे
सुख का सागर लहराता |

उत्साह, उमंग निरंतर
रहते मेरे जीवन में,
उल्लास विजय का हँसता
मेरे मतवाले मन में |

आशा आलोकित करती
मेरे जीवन को प्रतिक्षण
हैं स्वर्ण-सूत्र से वलयित
मेरी असफलता के धन |

सुख-भरे सुनहले बादल
रहते है मुझको घेरे;
विश्वास, प्रेम, साहस हैं
जीवन के साथी मेरे |

- सुभद्राकुमारी चोहान (सन १९०४-१९४८ ई.)


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