मैंने हँसना सिखा है
मैं नहीं जानती रोना ;
बरसा करता पल-पल पर
मेरे जीवन में सोना |
मैं नहीं जानती रोना ;
बरसा करता पल-पल पर
मेरे जीवन में सोना |
मैं अब तक जान न पाई
कैसी होती है पीड़ा ;
हँस-हँस जीवन में कैसे
करती है चिंता क्रीडा |
जग है असार सुनती हूँ,
मुजको सुख-सार दिखता ;
मेरी आँखों के आगे
सुख का सागर लहराता |
आशा आलोकित करती
मेरे जीवन को प्रतिक्षण
हैं स्वर्ण-सूत्र से वलयित
मेरी असफलता के धन |
मेरी आँखों के आगे
सुख का सागर लहराता |
उत्साह, उमंग निरंतर
रहते मेरे जीवन में,
उल्लास विजय का हँसता
मेरे मतवाले मन में |
मेरे जीवन को प्रतिक्षण
हैं स्वर्ण-सूत्र से वलयित
मेरी असफलता के धन |
सुख-भरे सुनहले बादल
रहते है मुझको घेरे;
विश्वास, प्रेम, साहस हैं
जीवन के साथी मेरे |
- सुभद्राकुमारी चोहान (सन १९०४-१९४८ ई.)
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